हम स्वतंत्र भारत के नागोरिक हैं। आज से कई साल पहले हमारा देश आजाद हुआ था। हमारे देश की आजादी में कई प्रतिभाशाली लोगों ने योगदान दिया है कुछ मानुष ने 200 साल के ब्रिटिश दमन के खिलाफ अभियान चलाय। आज मैं इस article के साथ उन वीर क्रांतिकारियों के बारे में चर्चा करुँगी जिन्होंने ब्रिटिश विरोधी आंदोलन किया और जिनके अचूक कार्य के परिणामस्वरूप आज हमारा देश स्वतंत्र हुआ।
75 साल पहले 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को आज़ादी मिली थी। आज हम उन सभी बीर सेनानियों को श्रद्यांजलि देंगे जिन्होंने भारत के आज़ादी में योगदान दिया है। Freedom fighter of India के बारे में अधिक से अधिक जानकारी लेने के लिए इस article से जुड़े रहे।आज मैं आपको भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेने वाले सेनानियों के बारे में विस्तृत जानकारी दूंगा।उनमें से कुछ योद्धा हैं.
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भारत के स्वतंत्रता सेनानी 2022
स्वतंत्रता सेनानी | जन्म | मृत्यु |
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1. महात्मा गांधी | 2 अक्टूबर, 1869 | 30 जनवरी, 1948 |
2. सुभाष चंद्र बोस | 23 जनवरी, 1897 | 18 अगस्त, 1945 |
3. जवाहर लाल नेहरू | 14 नवंबर, 1889 | 27 मई, 1964 |
4. भगत सिंह | 27 सितम्बर 1907 | 23 मार्च ,1931 |
5. खुदीराम बसु | 3 दिसम्बर, 1889 | 11 अगस्त, 1908 |
6. मंगल पांडे | 19 जुलाई 1827 | 8 अप्रैल 1857 |
7. रानी लक्ष्मी बाई | 19 नबंबर, 1828 | 18 जून, 1858 |
8. राम प्रसाद बिस्मिल | 11 जून, 1897 | 19 दिसंबर, 1927 |
9. लाला लाजपत राय | 28 जनवरी, 1865 | 17 नवंबर, 1928 |
10. चंद्रशेखर आजाद | 23 जुलाई, 1906 | 27 फरवरी 1931 |
11. सरोजिनी नायडू | 13 फरवरी, 1879 | 2 मार्च, 1949 |
12. सरदार वल्लभ भाई पटेल | 31 अक्टूबर, 1875 | 15 दिसंबर, 1950 |
13. कुंवर सिंह | 13 नवंबर, 1777 | 26 अप्रैल, 1858 |
14. दादाभाई नौरजी | 4 सितम्बर, 1825 | 30 जून, 1917 |
15. लाल बहादुर शास्त्री | 2 अक्टूबर 1904 | 11 जनवरी, 1966 |
1. महात्मा गांधी
जन्म: 2 अक्टूबर, 1869
जन्म स्थान: परबंदर, काठियाबार एजेंसी, (गुजरात)
मृत्यु: 30 जनवरी, 1948
मृत्यु स्थान: नई दिल्ली
हमारे देश के महान Freedom Fighter of India में से एक है महात्मा गाँधी जी।महात्मा गाँधी जी के असली नाम था मोहनदास करमचंद गाँधी। इनको प्यार से लोग ‘बापू’ कहकर पुकारते है। महात्मा गाँधी जी को ‘राष्ट्रपिता’ मन जाता है। इनके पिता का नाम करमचं गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था। गांधीजी उनके पिताजी के कनिस्ट संतान थे। गाँधीजी के दो बड़े भाई और एक बहन थे।महात्मा जी ने ब्रिटिश के खिलाफ हिंग्शा बिरोधी आंदोलन की सुचना की।गांधीजी के मातृभाषा गुजरती थी। इन्होने अपनी पढाई अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट से की थी।
1930 में, उन्होंने दांडी मार्च का सुचना किया और इस मार्च में गांधीजी मुख्य भूमिका निभाई। 1942 में, गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए और इस आंदोलन को आगे जन्मे मदत किया। गांधीजी के जन्म दिबस को विश्वभर में ‘अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। गांधीजी के निजी सचिव थे माधव देसाई थे। उनकी हत्या नाथूलाल गड़से के हातो बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
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2. सुभाष चंद्र बोस
जन्म: 23 जनवरी, 1897
जन्म स्थान: कटक (उड़ीसा)
मृत्यु: 18 अगस्त, 1945
Freedom Fighter of India में एक और महान बेक्तित्व थे सुभाष चंद्र बोस। इनको हम नेताजी कहके पहचानते है। नेताजी सुभाष चंद्र बोसे का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस और माता प्रभावती देवी था। जानकीनाथ जी कटक शहर के मशहूर वकील में से एक थे। नेताजी के कुल मिलकर 14 भाई बहन थे। सुभाष चंद्र बोसे महान स्वतंत्रता सेनानी में से एक थे।
नेताजी सुभास चंद्र बोस ने हमारे भारतबासियों को ‘ तुम मुझे खून दो में तुम्हे आज़ादी दूंगा ‘ का नारा दिया।1919 को नेताजी विदेश गए अपने पढ़ाई के लिए लेकिन जलियांवाला के हत्याकांड के संबाद मिलतेही बापस भारत लौट आए। बापस एके उन्होंने कांग्रेस में योगदान किये। बादमे उन्होंने नियम अवज्ञा आंदोलन के भाग लिया। नेताजी ने जर्मनी गए और हिटलर से मिले जंहा उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (INA) संगठित की। कहाबत है की 1945 के 17 अगस्त को उनका प्लेन क्रश हो गया और उस कारन उनका मौत हो गई। लेकिन आज भी उनके मृत्यु का रहस्य का समाधान नहीं मिला।
3. जवाहर लाल नेहरू
जन्म: 14 नवंबर, 1889
जन्म स्थान: इलाहाबाद
मृत्यु: 27 मई, 1964
भारत के स्वतंत्रता सेनानी में से एक महान सेनानी थे पंडित जवाहरलाल नेहरू। देश के हर कोई बचा को इनके बारे में मालूम है। जवाहरलाल जी के पिता मोतीलाल नेहरू, जो कश्मीरी पंडित समुदाय से थे, एक महान नेता थे और बो साथ ही साथ एक बेरिस्टर भी थे। उनकी माता स्वरूपरानी थुस्सू थे, जो लाहौर के एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थे। बो मोतीलाल जी के दूसरी पत्नी थे।बो मोतीलाल जी के दूसरी पत्नी थे। उनकी बड़ी बहन विजय लक्ष्मी बाद में संजुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बने। और छोटी बहन हटीसिंग एक लेखिका बने, और अपने बढे भाई पर बहुत सरे पुस्तक लिखी।
1912 नेहरू जी ने अपने पढाई के खातिर बिदेश गए थे और बापस आके बैरिस्टरी करने लगे। इन्होने महात्मा जी के साथ मिलके आज़ादी के लड़ाई में शामिल हुई। बाद में पंडित जी भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने।1947 के आज़ादी के बाद जबाहरलाल नेहरू जी स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। 1955 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी को भारत रत्न पुरस्कार से भूषित किया गया था। छोटे छोटे बच्चो के साथ उनका एक अलग ही रिश्ता था। इसीलिए नेहरू जी के जन्मदिन 14 नवंबर को हर साल ‘ बाल दिबस ‘ के रूप से पालित किया जाता है।
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4. भगत सिंह
जन्म: 27 सितम्बर 1907
जन्म स्थान: पंजाब
मृत्यु: 23 मार्च ,1931
Freedom Fighter of India में जिनका नाम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है और जो सबसे पहले जिनके नाम दिमाक में आते है वो है हमारे शाहिद भगत सिंह जी। देश हर कोई बचे को इनके बारे में पता है। इनका जन्म पंजाब के बंगा में हुआ था। भगत सिंह एक सच्चा देशप्रेमी थे। भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह संधू था और माता का नाम था विद्यावती देवी। भगत सिंह सिक्ख थे। इनके परिवार से कई ब्याक्ति स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना योगदान किये थे।
इसीलिए इनके मन में बचपन से ही देश के प्रति एक अलग ही लगाव थे। इसी उम्र से ही उन्होंने सोच लिए थे की उनको देश के लिए कुछ करना है। 1921 में भगत सिंह जी ने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया था लेकिन बाद में छोर भी दिया था हिंसात्मक प्रवति होने के कारन।उसके बाद इन्होने चंद्रशेखर आज़ाद जी से मिले और देश के आज़ादी के लिए बहुत कार्य संपादन किये।आज़ादी की इस इन्होने अपने जान तक कुर्बान कर दिए।23 मार्च 1931 को राजगुरु,सुखदेव और भगत सिंह को फांसी की सजा दी गयी।
5. खुदीराम बसु
जन्म: 3 दिसम्बर, 1889
जन्म स्थान: हबीबपुर
मृत्यु: 11 अगस्त, 1908 कोलकत्ता
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी में से एक महान युवा क्रांतिकारी थे खुदीराम बोस। इनका पूरा नाम था खुदीराम त्रिलोकनाथ बोस। खुदीराम बोसे ने मिदनापुर के हबीबपुर में 3 दिसम्बर 1889 को जन्म लिया था। इनका पिता का नाम श्री त्रिलोकनाथ बोसे और माता का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी था। देश के आज़ादी के लिए अपने छोटे से उमर में ही इन्होने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी जिंदगी बिसर्जन कर दी थी।
मात्र 16 साल के उम्र में ही इन्होने एक सरकारती ऑफिस में बम ब्लास्ट कोर दी थी और इसके 3 साल बाद इनको गिरफ्तार भी कर लिया गया था और सजा में इनको फांसी हुई थी। 11 अगस्त 1908 को कोलकत्ता में इनको फांसी दी गयी थी। उस समय खुदीराम के उमर थे 18 साल कुछ महीने मात्र। आज भी जब भी किसी युबा स्वतंत्रता सेनानी के नाम उठताहै सबसे पहले तो इनका नाम ही याद आता है।
6. मंगल पांडे
जन्म: 19 जुलाई 1827
जन्मस्थान: उत्तरप्रदेश
मृत्यु: 8 अप्रैल 1857
भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश के खिलाफ पहला लड़ाई था 1857 के बिद्रोह, इस बिद्रोह में भारत के स्वतंत्रता सेनानी वीर मंगल पांडे भाग लिया था और आत्म-बलिदान दिया था। इनका पूरा नाम मंगल दिवाकर पांडे था। इनका पिता दिवाकर पांडे और माता का नाम अभेरानी था। इन्होने सिपाही बिद्रोह में हिस्सा लिया इसके कारन 1857 का बिद्रोह हुआ।
1850 में एनफील्ड राइफल लॉन्च हुई थी और ऐसा अफवाह फैली थी की राइफल के कारतूसों में गाय और सूअर के चर्बी मिलाया गया था। सैनिको ने इसके खिलाफ जंग छेर दी थी क्युकी इससे उनके धार्मिक भाबनाओ का उल्लंघन किया था। 29 मार्च, 1857 को ब्रिटिश के खिलाफ मंगल पांडे और उनके सहयोगी सिपाहियों ने मिलके बिद्रोह का सुचना किया। 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे को फांसी दिया गया था।
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7. रानी लक्ष्मी बाई
जन्म: 19 नबंबर, 1828
जन्मस्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु: 18 जून, 1858
भारतीयों स्वतंत्रता सेनानी से ने एक महिला क्रन्तिकारी थे रानी लक्ष्मी बाई। ये झांसी के महाराज गंगाधर रओ के पत्नी थे।लक्ष्मीबाई के जन्म वाराणसी में हुआ था। शादी के बाद या झांसी के रानी बने थे। इनका पिता मोरोपंत तांबे और माता भागीरथी सप्रे था। लक्ष्मी बाई के पहला नाम मणिकर्णिका तांबे था। झांसी के महाराजा के मौत के बाद राजी लक्ष्मीबाई ने कुर्सी पे बैठी थी।
उस बक्त भारत का गवर्नर डलहौसी एक नया नियम चालू की थी की जिस राज्य के राजा मारा गया हो और उनका खुदका कोई पुत्र न हो तो उस राज्य का अधिकार ब्रिटिश का होगा। इस नियम का पूरी तरह से रानी ने बिरोध किया था और ब्रिटिश सर्कार के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी। ब्रिटिश की खिलाफ लड़ाई में रानी हर गयी थी।1857 में हुई आंदोलन में रानी ने एक मुख भूमिका निभाई थी। उनका नाम भारतीयों नागरिको आज भी बहुत इज्जत से लेता है।
8. राम प्रसाद बिस्मिल
जन्म: 11 जून, 1897
जन्मस्थान: शाहजहांपुर
मृत्यु: 19 दिसंबर, 1927
राम प्रशाद बिस्मिल भारत के स्वतंत्रता सेनानी में से एक ऐसा जिन्होंने अपने देश के लिए ब्रिटिश के खिलाफ जंग झेरी थी। रामप्रसाद बिस्मिल एक बड़े कवि थे जिन्होंने अपने कबिताओं के माध्यम से अपने दिल की बात लोगो तक पहुंचते थे। उनके कबिताओं में से एक यादगार कबिता है ‘सरफरोशियों की तम्मना’। राम प्रशाद बिस्मिल हिन्दुस्थान रिपब्लिकन एसोसिएशन के एक महत्यपूर्ण सदस्य थे।
राम प्रशाद बिस्मिल हिन्दुस्थान रिपब्लिकन एसोसिएशन में सुखदेव के साथी थे। बिस्मिल का नाम कुख्यात काकोरी कांड में सबसे ज्यादा उल्लेख है। काकोरी ट्रैन कांड में राम प्रशाद बिस्मिल भी बराबर का हिस्सेदार थे। इस ट्रैन कांड के बाद बिरिश पोलिश इनको पाकर लिया था। इसके बाद इनको फांसी दी गयी थी। 19 दिसंबर 1927, गोरखपुर जेल में इनको फांसी से मौत हो गयी। देश के स्वतंत्रता के लड़ाई के लिया आज भी इनका नाम देशबासियों के मन में लिखा है।
9. लाला लाजपत राय
जन्म: 28 जनवरी, 1865
मृत्यु: 17 नवंबर, 1928
देश के स्वतंत्रता सेनानी में से एक और महत्यपूर्ण क्रांतिकारियों में से एक थे लाला लाजपत राय।लाला लाजपत राय का जन्म पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। इनका पिता का नाम मुंशी राधा किशन आज़ाद था। माता का नाम था गुलाब देवी। लाजपत राय उनके परिवार में सबसे वड़े थे।बनिया जाती के अग्रवाल थे उनके पिता मुंशी राधा किशन आज़ाद।अपने छोटे उम्र में ही उन्होंने अपने माँ से नैतिक मूल्यों के शिक्षा प्राप्त की थी।लाजपत राय एक लेखक भी थे। उन्होंने अपनी लेख के माध्यम से भी देश के लोगों को सही मार्ग दिखाया था।
लाला लाजपत राय पंजाब केसरी नाम से ज्यादा प्रसिद्ध थे।’ लाल बाल पाल ‘ के लाल थे लाला लाजपत राय जी।भारतीयों नेशनल कांग्रेस के मशहूर नेता थे लाला लाजपत राय। जलियांवाला हत्याकांड के खिलाफ उन्होंने ब्रिटिश बिरोधी आंदोलन छेड़ दी थी। आंदोलन के दौरान अंग्रेजो के पोलिश ने लड़ी चार्ज की थी उसमे लाजपत जी बुरी तरह से घायल हुए थे। घायल होने के बाद 17 नवंबर 1928 को इनकी मौत हो गयी थी।
10. चंद्रशेखर आजाद
जन्म: 23 जुलाई, 1906
जन्मस्थान: भावरस
मृत्यु: 27 फरवरी 1931, चंद्रशेखर आज़ाद पार्क
चंद्रशेखर आज़ाद के पुरा नाम चंद्रशेखर तिवारी था। चंद्रशेखर आज़ाद बहोत उम्र में देश के स्वतंत्रता लड़ाई में कुंड परे थे। देश के आज़ादी के खातिर बोहोत लड़ाई की ब्रिटिश के खिलाफ। इन्होने ही देश युबा क्रांतिकारिओं को सवतंत्रता लड़ाई होने के लिए उत्साहित किया था। इनका सोच महात्मा साथ नाझी मिलती थी इसलिए इन्होने हिंसात्मक लड़ाई करते थे। आज़ाद स्वतंत्रता लड़ाई में भगत सिंह के बहुत क़रीबी थे।
हिंदुस्तान असोसिएशन के सदस्य थे चंद्रशेखर आज़ाद। इन्होने काकोरी ट्रैन लुठ की परिकल्पना बनाये थे और लुटा भी था। किसी बिश्वासघातक ने इसकी खबर ब्रिटिश को दे दी थी इसलिए वो पकड़ा गया था। चंद्रशेखर को आज़ादी पसंद थी इसलिए इनको मौत भी कीच ऐसे ही हुआ था। आज़ाद को अंग्रेज के हाथो मरना पसंद नहीं था इसलिए अपने बंदूक के गोली से आत्म्हत्या कर्ली और शहीद बन गए थे। आज़ादी के इतने सालो बाद भी चंदशेखर आज़ाद को हमे याद आते है। देश के आज़ादी के लिए इनका लड़ाई हर हिंदुस्थानी याद करते है।
11. सरोजिनी नायडू
जन्म: 13 फरवरी, 1879
जन्मस्थान: हैदराबाद
मृत्यु: 2 मार्च, 1949
सरोजिनी नायडू एक श्रेष्ठ कवयित्री भी थे।सरोजिनी नायडू एक श्रेष्ठ कवयित्री भी थे। इनको अंग्रेजी, हिंदी, बेंगोली, फारसी, तेलेगु, और उर्दू भाषा बहुत अछि तरीके से आता था। सरोजिनी नायडू भारतीयों कांग्रेस के पहली महिला अध्यक्ष बने थे और भारतीयों राज्य की गवर्नर नियुक्त हुयी थी। सरोजिनी नायडू कोकिला नाम से प्रसिद्ध है। 2 मार्च, 1949 को हार्ट अटैक से सरोजिनी नायडू जी की मौत हो गयी थी।
12. सरदार वल्लभ भाई पटेल
जन्म: 31 अक्टूबर, 1875
जन्मस्थान: नाडियाड
मृत्यु: 15 दिसंबर, 1950
सरदार बल्लभभाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्होने देश को आज़ादी देने के लिए कांग्रेस में योगदान क्या था। भारतीयो कांग्रेस के नेता पटेल साहब के पेशा था बकलती। उनका पिता का नाम झबेरलाल पटेल था। पटेल पिता एक अतिसाधारण किसान थे। इनका माता का नाम लाड बाई था। छोटे उम्र से ही पटेल बहत परिश्रमी थे।
सरदार बल्लभभाई पटेल को भारत का “लौह पुरुष “कहा जाता है। वे एक नमी बैरिस्टर थे लेकिन देश के स्वतंत्रता लड़ाई में शामिल होने के खातिर इन्होने अपना पेशा छोर दिया था। देश के स्वतंत्रता के लिए इन्होने खूब लड़ाई किये थे। बारडोली सत्याग्रह में बल्लभभाई पटेल ने महत्यपूर्ण भूमिका निभाई थी इसलिए इनको सरदार उपाधि मिला था। 15 दिसम्बर 1950 को इनका मौत हो गया था।
13. कुंवर सिंह
जन्म: 13 नवंबर, 1777
जन्मस्थान: जगदीशपुर
मृत्यु: 26 अप्रैल, 1858
कुंवर सिंह का जन्म बिहार के महाराजा के घर हुआ था। इनका का पूरा नाम बाबू वीर कुंवर सिंह था। अन्न स्वतंत्रता सेनानी के नामो के बिच शायेद ही कोई इन्हे याद रखा हो। लेकिन स्वत्रतता के लिए इन्होने भी बहुत साडी क्रायो किया था। बिहार के बिद्रीह में कुबेर सिंह जी ने महत्यपूर्ण भूमिका निभाई थी। वीर कुंबर सिंह उम्र 80 में अंग्रेज खिलाफ जंग छेरी थी और बिजॉय प्राप्त किया था। लड़ाई करने के समय इनके हाथो पे गोली लगी तब उन्होंने होना हाथ को काटके नदी माँ वहा दिया था। जंग में घायल होने के बाद 1858 के 26 अप्रैल को इन्होने वीरगति प्राप्त किया।
14. दादाभाई नौरजी
जन्म: 4 सितम्बर, 1825
जन्मस्थान: बॉम्बे, भारत
मृत्यु: 30 जून, 1917
Freedom fighter of india में एक महत्वपूर्ण कदम रहनेवाले में से एक सेनानी थे दादाभाई नौरजी। भारत के एक महान राजनेता थे दादाभाई नौरजी। भारतीयो आर्थिक राष्ट्रवाद के जनक थे दादाभाई नौरजी। दादाभाई नौरजी भारत के ग्रैंड ओल्ड मन के नाम से प्रसिद्ध है। इन्होने भारतीयों राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में महत्यपूर्ण भुमिता पालन की थी। दादाभाई नोरजी एक पारसी थे। इनका परिवार बहुत गरीब था।
इनका पिता नौरोजी पलंजी दोर्दी थे और माता मानेकबाई था। जब दादाभाई नौरजी छोटे थे तब ही उनके पिता का निधन हो गया था। मात्र 11 साल उमर में ही इनका सदी हो गयी थी 7 साल की गुलबाई से। उस बक्त देश में बल बिबाह का चलन था। 1859 में दादाभाई ने अपने खुद की कपास ट्रेडिंग फार्म ‘ नौरोजी एंड को ‘ बनाया। स्वतंत्रता आंदोलन के समय दादाभाई नौराजी ने एक महत्यपूर्ण भूमिका निभाई थी।
15. लाल बहादुर शास्त्री
जन्म: 2 अक्टूबर 1904
जन्मस्थान: उत्तरप्रदेश
मृत्यु: 11 जनवरी, 1966
लाल बहादुर शास्त्री भारत के स्वतंत्रता संग्रामी में से एक थे। जवाहरलाल नैहरु के वाद लाल बहादुर शास्त्री जी स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री वने थे। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के मुगलसराय मे हुआ था।लाल बहादुर शास्त्री जी ने ही ‘ जय जवान जय किसान ‘ का नारा दिया था। इन्होने देश के आजादी के वहुत लड़ाई किया था। शास्त्री जी ने नमक सत्याग्रह आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ आंदोलन में महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। 1964 में भारत के दूसरी प्रधानमन्त्री वने थे।1966 में लाल बहादुर शास्त्री जी की मोत हो गई।